रेत पर फूल खिलाने आए
दश्त में कितने दीवाने आए
मिल गया राह में बचपन का यार
याद फिर गुज़रे ज़माने आए
धूप के पंख निकल आए जब
कुछ शजर जाल बिछाने आए
एक दिन बेखुदी जो ले डूबी
तब मेरे होश ठिकाने आए
वक़्त बेवक्त भड़ककर, आँसू
ग़म की सरकार गिराने आए
नाम लिक्खा था किसी का उनपर
किसी के हिस्से में दाने आए
दिल का दरवाज़ा खुला ही रक्खो
किस घड़ी कौन न जाने आए
आया है हिज्र का फिर से त्यौहार
अश्क़ फिर धूम मचाने आए
देखो देखो ये सितारे कैसे
रात की माँग सजाने आए