पटना(बिहार) के श्री समीर परिमल जी वरिष्ठ ग़ज़लकार हैं, जो समाज में व्याप्त विसंगतियाँ चाहे वो सियासी हो या सामाजिक, की पुरज़ोर मुख़़ालिफत करते हैं। उनकी ग़ज़लें सत्य को ज़ोरदार तरीके से सामने रखती हैं। –शिज्जु शकूर जहाँ के रिवाजों की ऐसी की तैसी ज़मीं के ख़ुदाओं की ऐसी की तैसी पतीली है खाली वो …
