डर रहा है अब जहाँ अनुपात का दर देखकर
सोनिया वर्मा रायपुर(छत्तीसगढ़) की शायरा हैं। उनकी इस ग़ज़ल में बेटियों का दर्द, उनकी मनःस्थिति बखूबी बयाँ हुई हैं। और यही आज की सच्चाई भी है। एक तरफ शायरा लोगों की दबी मानसिकता के प्रति आगाह करती हैं। दूसरी तरफ वही असमंजस की स्थिति मे नज़र आती हैं कि आदमी पर भरोसा करें कि नहीं करें। कुल मिलाकर यह एक बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। सोनिया वर्मा की यह ग़ज़ल 2122 2122 2122 212 बहर पर आधारित है।
डर रहा है अब जहाँ अनुपात की दर देखकर
बेटियाँ मारी गयी इच्छाओं के सर देखकर
क्यों हो हैराँ हाथ में अपनों के पत्थर देखकर
आदमी की ज़ात समझा कौन पैकर देखकर
हक की बातें करने वाले लोग ही देंगें द़गा
जाँच लो हर आदमी को तुम सँभल कर देखकर
रो रहा था एक बच्चा जो गुबारे के लिए
हँस पड़ा है पेड़ पर नटखट-सा बंदर देखकर
सादगी को जो कभी ज़ेवर समझता था वही
आज कैसे मर मिटा है रूप सुन्दर देखकर
क्या छुपा है किसके मन में, अब नहीं है पूछना
और भी उलझा करेंगे उनके उत्तर देखकर
Waaaaahh
हौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया
बहुत खूब
लाजवाब
हौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया
बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। आपकी टिप्पणी ने और सुंदर बना दिया। सोनिया जी को बधाई।
हौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया
उम्दा ग़ज़ल।
हौसलाअफजाई के लिए हार्दिक आभार
लाजवाब , क्या कहने
बहुत उम्दा
हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका
हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका