आँखो में खून देखें पेश है एहतराम इस्लाम साहिब की एक ग़ज़ल- आँखो में खून देखें तो क़दमों पे सर झुकाएँ आँसू मिलें तो लोग मुझे ठोकर लगाएँ ला-हासिली ही ठहरी जो हर बह्स का नसीब क्या सोचकर किसी से कोई गुफ़्तगू चलाएँ जाता है सीधा दोस्तो शमशान की तरफ़ इस रास्ते पे आप अगर …
ओबीओ लाइव तरही-100/ नादिर खान
ज़हर अपना पिला गया है मुझे ओबीओ लाइव तरही-100 में पेश है नादिर खान साहिब की ग़ज़ल ज़हर अपना पिला गया है मुझे चापलूसी सिखा गया है मुझे कत्ल करना तो शौक है उसका और कातिल बता गया है मुझे . मै जिसे नासमझ, समझ बैठा आईना वो दिखा गया है मुझे फिर मैं कैसे …
लम्हा जो दिल में तेरी याद जगा देता है – एहतराम इस्लाम
पेश है एहतराम इस्लाम साहिब की किताब ‘हाज़िर है एह्तराम’ से एक ग़ज़ल लम्हा जो दिल में तेरी याद जगा देता है लम्हा जो दिल में तेरी याद जगा देता है दश्त ए वीराँ को भी गुलज़ार बना देता है सफ़्ह’-ए-ज़ेह्न पे यादों के क़लम से कोई नाम लिखता है कोई और मिटा देता है तश्न’-लब …
ओबीओ लाइव तरही – 100/ सौरभ पाण्डेय
छोड़ कर तू चला गया है मुझे ओबीओ लाइव तरही – 100 में पेश है श्री सौरभ पाण्डेय जी की ग़ज़ल छोड़ कर तू चला गया है मुझे सबसे कहना ये भा गया है मुझे दोस्ती में परत जो होती है यार मेरा दिखा गया है मुझे तुम सियासत के चोंचले रक्खो खेल का ढंग …
आँखो में भड़कती हैं आक्रोश की ज्वालाएँ – एहतराम इस्लाम
आँखो में भड़कती हैं मोहतरम एहतराम इस्लाम साहिब की किताब ‘है तो है’ से एक ग़ज़ल आँखो में भड़कती हैं आक्रोश की ज्वालाएँ हम लांघ गये हैं शायद संतोष की सीमाएँ पग-पग पे प्रतिष्ठित हैं पथ-भ्रष्ट दुराचारी इस नक्शे पे हम खुद को किस बिन्दु पे दर्शाएँ अनुभूति की दुनिया में भूकम्प-सा आया है आधार …
जो हिकमतों से मुक़द्दर तराश लेते हैं – गिरिराज भंडारी
जो हिकमतों से मुक़द्दर तराश लेते हैं पेश है गिरिराज भंडारी जी की एक गज़ल – जो हिकमतों से मुक़द्दर तराश लेते हैं पड़े जो वक़्त वो मंज़र तराश लेते हैं वो मुझसे पूछने आये हैं मा’ना हँसने का सुकूँ के पल से जो महशर तराश लेते हैं उन्हें यक़ीन है वो आँधियाँ बना लेंगे …
OBO Live Tarahi-100/Surkhab Bashar
OBO Live Tarahi-100/Surkhab Bashar OBO Live Tarahi-100 में पेश है उज्जैन के शाइर सुरख़ाब बशर जी की एक गज़ल जाम ऐसा पिला गया है मुझे जाम ऐसा पिला गया है मुझे चाँद सा जगमगा गया है मुझे इश्क़ में ऐसे टूटता है दिल गिर के शीशा बता गया है मुझे हिज्र के ग़म का काफ़िला …
OBO Live Tarahi 100/Gurpreet Singh
जब से अपना बना गया है मुझे OBO Live Tarahi 100 श्रृंखला में पढ़िये गुरप्रीत सिंह जी की ग़ज़ल जो उन्होंने ओबीओ लाइव तरही मुशायरे में पेश किया था जब से अपना बना गया है मुझे खौफ़ ए फुर्कत ही खा गया है मुझे अब उमीदों का मुझ पे बोझ नहीं हारना रास आ गया …
OBO Live Tarahi-100/Er Ganesh Ji Baghi
राज़ दिल का सुना गया है मुझे पेश है OBO Live Tarahi 100 में इं. गणेश जी बागी जी की गज़ल, आप ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम के संस्थापक एवं मुख्य प्रबंधक हैं। राज़ दिल का सुना गया है मुझे प्यार अपना जता गया है मुझे कुछ तो अच्छा हुआ जो दिल टूटा अस्ल चेहरा …
पगडंडियों के भाग्य में कोई नगर कहाँ – सौरभ पाण्डेय
पगडंडियों के भाग्य में कोई नगर कहाँ पेश है सौरभ पाण्डेय जी की एक ग़ज़ल। इलाहाबाद के शाइर श्री सौरभ पाण्डेय जी छंद के भी अच्छे जानकारों में से एक हैंं। छंद विधान पर उनकी एक उपयोगी किताब छंद मंजरी अंजुमन प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। पगडंडियों के भाग्य में कोई नगर कहाँ मैदान गाँव …